Varanasi News: देश के 73वें गणतंत्र दिवस (73rd Republic Day 2022) के मौके पर दिल्ली के राजपथ पर बुधवार को आयोजित भव्य परेड में 12 अलग-अलग राज्यों के संस्कृति के नजारे देखने को मिले और प्रदेशों की झांकियां प्रदर्शित की गईं। इन झांकियों में उत्तर प्रदेश से काशी के बाबा विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Corridor) की झांकी आकर्षण का एक बड़ा केंद्र रही। बाबा के धाम को राजपथ पर पूरे देश और दुनिया ने देखा। राजपथ पर होने वाले आयोजन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने (Ram Nath Kovind) तिरंगा फहराए।
झांकी में गंगा स्नान करते साधु और पूजन करते हुए बटुकों का दल झांकी का हिस्सा रहा। प्रदेश की झांकी में इस बार काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Corridor) के अलावा एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) को शामिल किया गया है। झांकी में बाबा काशी विश्वनाथ के दरबार के साथ ही धर्म नगरी काशी की परंपरा, कला और संस्कृति के रंग मां गंगा के संग नजर आया।जैसे-जैसे झांकी राजपथ पर बढ़ती गई, उसके साथ बजते गीत ने नए काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Corridor) के प्रदर्शन के बीच यह बयां किया कि इसने कैसे श्रद्धालुओं को मंदिर और गंगा के बीच सीधा संपर्क दिया है। झांकी में काशी विश्वनाथ धाम के चार प्रवेश द्वारों की झलक भी पेश की गई।
यह दूसरा मौका था जब बनारस से जुड़ी यूपी की कोई झांकी राजपथ पर चली, इसके पहले एक बार महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की झांकी गणतंत्र दिवस की परेड में आ चुकी है। यूपी का इकोनॉमी दिखाने के लिए झांकी के पिछले भाग में योगी सरकार की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम नीति और औद्योगिक विकास नीति से कौशल विकास एवं रोजगार का नजारा भी था ।
गंगा से मंदिर के गर्भगृह तक बने काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Corridor) का यह नया स्वरूप 241 साल दुनिया के सामने आ रहा है। इतिहासकारों के अनुसार श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पर वर्ष 1194 से लेकर 1669 तक कई बार हमले हुए। 1777 से 1780 के बीच मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर का निर्माण कराया था। ढाई दशक बाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Corridor) का शिलान्यास किया था। 33 महीने में तैयार होकर 13 दिसंबर को पीएम मोदी के हाथों पहले चरण की परियोजना लोकार्पित हो गई।धाम में बालेश्वर, मकराना, कोटा, ग्रेनाइट, चुनार, मैडोना स्टोन, मार्बल सात तरह के पत्थर इस्तेमाल हुए हैं।बाबा विश्वनाथ का धाम 50,200 वर्ग मीटर जमीन में बन रहा है। अभी दूसरे चरण का काम जारी है।