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मिलिये Digital India के Digital Bhikhari राजू यादव से, E-Wallet में लेता है भीख के पैसे, खुद को बताता है लालू प्रसाद का बेटा

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Patna News: अगर आप किसी भी सार्वजनिक जगह जैसे किसी स्टेशन पर जाते है तो अक्सर ऐसे भिखारियों को देखा होगा जो पैसे के लिए आपके पीछे-पीछे दौड़ पड़ते हैं।आप भी इनसे बचने के लिए कई बार ‘छुट्टे नहीं हैं’ कहकर आगे निकल जाते हैं और इनसे बच जाते है, लेकिन अगर आप बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर हैं तो यहां आपका यह बहाना जरा भी काम नहीं आने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस स्टेशन पर Digital India अभियान से प्रेरित एक Digital Bhikhari है जो Digital Payment भी स्वीकार करता है। सुनकर काफ़ी हँसी आ रही होगी तो आइए हम आपको पूरा वकिया बता रहे है।

खुद को लालू प्रसाद का बेटा और पीएम मोदी का भक्त बताने वाला राजू प्रसाद एक अलग किस्म का भिखारी है। पश्चिम चंपारण जिले के बिहार के बेतिया कस्बे के निवासी राजू जिसकी उम्र 40 है और राजू की पहचान दूर से ही हो जाती है। Digital payment के लिए उसके गले में ‘QR CODE’ लटकी रहती है और हाथ में टैब लिए रहता है।

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भीख मांगने पर कोई कहता है कि छुट्टे नहीं है तो राजू कहता है कि फोन पे दो, गूगल पे कर दो। वहाँ के लोगों से पता चला की राजू बिहार का पहला डिजिटल भिखारी है। वहीं राजू अपने आप को देश का पहला हाईटेक भिखारी बताता है, उनके मुताबिक़ वह पिछले तीन दशकों से ऐसा कर रहा है। थोड़ा आलसी होने के कारण उसने भीख मांगना शुरू किया था और फिर उसे काफ़ी पैसे मिल जाते है लेकिन इसी बीच कुछ दिनों से लोग छुट्टे नहीं है कहकर भीख देने से मना कर देते हैं। ऐसे में उसे पैसे मिलना बंद हो गए। तभी उसे डिजिटली भीख मांगने का आइडिया आया। उसके बाद उसने पैन कार्ड बनवाकर बैंक में खाता खुलवाया और डिजिटली भीख मांगना शुरू किया। राजू की पहचान दूर से ही हो जाती है।

ऐसा वकिया यानी की डिजिटल वॉलेट के जरिए भीख मांगने वाले भिखारियों की इसी तरह की कहानी पहले चीन से सामने आई थी, क्यूँकि चीन की अगर हम बात करे तो वह कैशलेस अर्थव्यवस्था होने वाले देशो में से एक है। हैरानी की बात यह है कि राज्य सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी बिहार में अभी भी भीख मांगने का चलन है। पिछले साल, सरकार ने कहा था कि वह बिहार के भिखारियों को रोजगार और घर देने के लिए उनका डेटाबेस तैयार कर रही है। सरकार के अनुसार पटना भी इस परियोजना के अंतर्गत आती है पटना के अलावा यह परियोजना राज्य के 12 जिलों यानी की मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सारण, अररिया, वैशाली, गया, नालंदा, भागलपुर, रोहतास, पूर्णिया, कटिहार और अररिया में शुरू की गई है।इनमें से अधिकारियों ने सबसे पहले पटना को भिखारियों से मुक्त कराने का ऐलान किया है। आँकड़े की बात करे तो मार्च 2018 में संघीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत द्वारा लोकसभा को दिए गए एक लिखित उत्तर के अनुसार, बिहार में 29,723 भिखारी थे।

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