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काशी से 1913 के आस पास चोरी हुई 18वी सदी की मां अन्नपूर्णा की मूर्ति 108 साल बाद कनाडा से वापस काशी पहुंची।

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मां अन्नपूर्णा की मूर्ति
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हमारे हिंदुस्तान के गुलामी के दिनों में ऐसे बहुत से अमूल्य चीजें थी जो भारत से चुरा कर या जबरदस्ती हड़प कर विदेशों में बेची गई। इसी कड़ी में एक अन्नपूर्णा की मूर्ति 1913 के आसपास बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी से चोरी होकर किसी तरह कैनेडा पहुंच गई और यहां साल 1936 में बने McKenzie Art Gallery में स्थापित की गई। गौरतलब है कि अब मूर्ति वापस काशी पहुंच चुकी है और आज माननीय मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन होगा।

McKenzie Art Gallery
मूर्ति का पता कैसे चला?

साल 2019 भारतीय मूल की मूर्तिकला विशेषज्ञ दिव्या मेहरा को McKenzie Art Gallery द्वारा प्रदर्शनी आयोजित करने के लिए निमंत्रित किया गया था उस वक्त उन्होंने इस मूर्ति पर गहन अध्ययन किया और इस निष्कर्ष पर पहुंची की मूर्ति काशी से चोरी होकर तस्करी द्वारा वहां पहुंची है। अध्ययन पूर्ण होने के उपरांत दिव्या मेहरा ने भारतीय दूतावास को इसके बारे में सूचित किया, के उपरांत कनाडा सरकार ने भारतीय सरकार को शिष्टाचार भेंट के तौर पर यह मूर्ति पुनः सौंपने का आग्रह किया।

मां अन्नपुर्णा की 18वी शताब्दी की मूर्ति
मूर्ति को खासियत

मूर्ति विशेषज्ञों की माने तो यह मूर्ति चुनार के बलुआ पत्थर से 18 वीं सदी के इर्द गिर्द बनी है। मां अन्नपूर्णा के एक हाथ में चम्मच और दूसरे हाथ में खीर की कटोरी है जिससे मां अपने भक्तो को प्रसाद प्रदान करती है और जैसा कि हम सब जानते हैं कि मां अन्नपूर्णा अपने भक्तो को कभी भूखा नही रहने देती और काशी में ये मान्यता तो बहुत प्राचीन है की यहां कोई भूखा नही रहता।

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