चुनाव की बात हो तो सभी पार्टियों के नेता इलेक्शन जीतने के लिए ही चुनाव लड़ते है और इसके लिए हर तरह की रणनीति बनाई जाती है। एक आम नेता भी लाखों से करोड़ों रूपये एक इलेक्शन मे लगा देता है। लेकिन क्या हो अगर हम आपको कहे की आगरा का रहने वाला एक शख्स अब सिर्फ इसलिए चुनाव लड़ता है ताकि वो चुनाव हारने का शतक लगा सके, और यही नहीं वो अब तक 93 चुनाव हार भी चुका है (Lost 93 Elections)।
जी हा ये शख्स आगरा के रहने वाले है इनका नाम हसनूराम आंबेडकरी और इनकी उम्र 75 वर्ष के करीब है इनका जन्म आजादी के दिन (15 अगस्त 1947) को हुआ था। ये खुद को डॉ. भीमराव अंबेडकर का अनुयायी बताते हैं और अब तक पूरे 93 बार अलग अलग पदों के लिए चुनाव लड़े और हर बार उन्हें बस हार मिलती है। आश्चर्य की बात ये है कि उन्हें इस बात का कोई दुःख नहीं है, बल्कि वह एक बार फिर से यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं।
हसनूराम ने मीडिया से बातचीत मे बताया कि वह तहसील में 1984-85 में बामसेफ के कार्यकर्ता थे और बसपा से टिकट मांग रहे थे।लेकिन उस वक्त पार्टी कार्यकर्ताओं ने टिकट देने की बजाय उनका मजाक उड़ाया, कहां तुम्हें तो तुम्हारे घर में कोई वोट नहीं देगा।तभी से हसनूराम को चुनाव लड़ने की धुन सवार हो गई।वह ग्राम प्रधान से लेकर राष्ट्रपति तक चुनाव लड़ चुके हैं और चुनाव में कभी भी एक रुपया खर्च नहीं किया।
अंबेडकरी ने फतेहपुर सीकरी विधानसभा सीट से निर्दलीय के रूप में अपना पहला चुनाव लड़ा था और यही नहीं 17,711 वोट पाकर तीसरे स्थान पर भी रहे थे। अब तक वो विधानसभा, लोकसभा, पंचायत में निर्दलीय के रूप में अंबेडकरी ने फतेहपुर सीकरी विधानसभा सीट से इसके अलावा सहकारी बैंकों समेत एमएलसी का चुनाव भी निर्दलीय के रूप में जितनी बार हो सके चुनाव लड़ चुके हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए भी नामांकन किया है। वे अब तक 93 बार चुनावी मैदान में उतर चुके हैं और 2022 के विधानसभा चुनाव में 94वीं बार चुनाव लड़ेंगे। वे 12 बार आगरा ग्रामीण से, 12 बार खैरागढ़ विधानसभा से और 6 बार फतेहपुर सीकरी विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं। हसनुराम ने कहा कि वह जीतने के लिए नहीं बल्कि हारने के लिए लड़ते हैं। अब हंसराम 100 बार चुनाव हारने का रिकॉर्ड बनाना चाहते हैं। उनका दावा है कि उन्होंने पूरे देश में सबसे ज्यादा चुनाव लड़ा है।