हमारे देश में जमीन विवाद का मामला बहुत ही मामूली बात है, और यहां रोजाना हजारों ऐसे मामले कोर्ट पहुंचते हैं जिसमें किसी ने किसी की जमीन कब्जे में कर ली या जमीन के लिए मारपीट हो गई इत्यादि लेकिन इस बार 150 साल पुरानी जमीन विवाद से जुड़ा हुआ हैरतंगेज मामला सामने आया है।
खुद को मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के पड़पौत्र की विधवा बताने वाली महिला ने देश के महत्वपूर्ण स्मारकों में से एक लाल किला ( Red Fort ) पर अपना अधिकार बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में महिला ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया है कि वह लाल किला की कानूनी वारिस है और लिहाजा उसे लाल किला का मालिकाना हक सौप दिया जाए। महिला का कहना है कि भारत सरकार का लाल किले पर गैरकानूनी कब्जा है।
महिला का नाम सुल्ताना बेगम है जिनकी आयु 67 हो चली है और मुगल साम्राज्य का अंत हुए भी 150 साल से अधिक हो गए है। अब ऐसा दावा होना बेहद ही अजीब और चौंकाने वाला है। सुल्ताना बेगम ने कोर्ट को बताया है कि 1857 मैं ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके पुरखों की ढाई सौ एकड़ में फैले लाल किले पर जबरी कब्जा कर लिया था।
हाईकोर्ट ने क्या कहा ?
सुल्ताना बेगम के वकील ने हाईकोर्ट को यह बताया कि कैसे वह 6000 महीने की पेंशन पर अपना जीवन काट रही हैं। सुल्ताना बेगम के इस याचिका का जवाब देते हुए न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने उनसे पूछा है कि यदि सच में वर्ष 1857 में आपके साथ अन्याय हुआ था तो आप 150 वर्षों से क्या कर रही थी। इतने लंबे वक्त के देश के राष्ट्रीय स्मारक पर दावा करने का कोई मतलब नहीं है। हाईकोर्ट ने इस अनोखी याचिका को ‘समय की बर्बादी’ बताते हुए खारिज कर दिया।